Zindagi Meri Pyaar Ki - Hindi Love Poem By -Deepak Singh जिंदगी मेरी प्यार की मोहताज नहीं है अब, चुप हूँ मगर मेरी जिंदगी बेआवाज नहीं है अब जाने क्या दिल्लगी थी इस जिंदगी से मेरी, पर इस फ़साने से कोई आगाज नहीं हैं अब ढूंढता फिरता था तन्हाई में भी महफ़िलें, शाहिल-ए-मंजिलों से कोई आवाज नहीं है अब कहते हैं इस रस्ते पर मोड़ बहुत आते हैं, खुल गयी है हर बात, ये राज, राज नहीं है अब जीता रहा सपनों के हर पल को अपना समझ कर, तन्हाई में भी जीने से ऐतराज नहीं है अब निकल गए हर जज्बात सागर बनकर आँखों से, ये डुबोती हुई लहरें भी दगाबाज नहीं है अब कभी निकल पड़ते थे आंसू हँसते-हँसते, मेरे मुस्कुराने का वो अंदाज नहीं है अब खामोश मैं हूँ, खामोश मेरी आँखें हैं (दीपक ) जिंदगी के खेल से दिल दिलशाज नहीं है अब जिंदगी मेरी प्यार कि............